एक सरल , सहज , जनता के राजा – महाराज रणधीर सिंह जी भींडर

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर राष्ट्रनायक हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप के भाई महाराज शक्ति सिंहजी के वंशज है। उनको वंशानुगत के तौर पर “त्याग, तपस्या और बलिदान” के समृद्ध सांस्कृतिक-नैतिक मूल्य और संस्कार विरासत में मिले है।

गौरा और बादल : दो वीर योद्धा जिनके शौर्य व पराक्रम से अलाउद्दीन ख़िलजी भी काँपता था

गौरा और बादल

शौर्य और बलिदान का प्रतीक मेवाड़ अपने ह्रदय में महान वीरो और क्षत्राणियो की गौरवपूर्ण गाथा को संजोए हुए हैं। यह गवाह है चित्तौडगढ़ के जौहर और शाके के लिए , जो वीरो का अपने धर्म, अपनी स्वतन्त्रता, अपनी आन – बान और शान के लिए केसरिया बाना धारण कर रणचंडी का कलेवा बन गए। इनमे वीर योद्धा गौरा और बादल जिनके नाम और पराक्रम से मुगल आक्रांता भी थर – थर काँपते थे । मुहणोत नैणसी के प्रसिद्ध काव्य ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ में इन दो वीरों के बारे में पुख़्ता जानकारी मिलती है. इस काव्य के अनुसार की रिश्ते में चाचा और भतीजा लगने वाले ‘गौरा और बादल’ जालौर के ‘चौहान वंश’ से संबंध रखते थे, गोरा तत्कालीन चित्तौड़ के सेनापति थे एवं बादल उनके भतीजे थे। दोनो अत्यंत ही वीर एवं पराक्रमी योद्धा थे,

विश्व के प्राचीनतम राजवंश मेवाड़ के युवराज महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी मेवाड़

महाराज कुमार विश्वराज सिंह मेवाड़

विश्व के प्राचीनतम राजवंश मेवाड़ के युवराज एवं वीरशिरोमणि ,राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी मेवाड़ का जन्म 18 मई 1967 को हुआ । उनके पिता मेवाड़ के 76 वे महाराणा श्री मंत हुजूर महेंद्रसिंह जी मेवाड़ एवं माता टिहरी गढ़वाल की राजकुमारी निरुपमा कुमारी है । महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी ने अपनी शिक्षा मेयो कॉलेज अजमेर से की है । वर्तमान में 16 वी विधानसभा के लिए राजस्थान के नाथद्वारा से विधायक चुने गए है ।

माँ बाला सती माता साक्षात् देवी रूप !

मां बाला सती जी

राजस्थान की भूमि सन्त सती और सूरमा की भूमि रहीं हैं। मां बाला सती माता ने साधना की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए परम तत्व से साक्षात्कार कर लिया था। वह अणु से विराट बन गई। ईश्वर के सामिप्य ने बाला सती माता को ब्रह्म से साक्षात्कार करा दिया था।

सत्यव्रत रावत चूण्डा जी का अनुपम त्याग

रावत चूंडा

मंडोर के राव रणमल के इस विवाह प्रस्ताव पर मेवाड़ के युवराज चूण्डा ने कहा कि मैं आपकी बहन से विवाह नहीं कर सकता । और मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि उससे उत्पन्न पुत्र ही मेवाड़ का स्वामी बनेगा।

परमवीर मेजर शैतानसिंह भाटी जिन्होंने मरते दम तक भारत की रक्षा कर वीरगति पाई

मेजर शैतानसिंह भाटी

राजस्थान की भूमि सन्त , सती और सूरमा की भूमि रहीं हैं। इस गरिमामय धरा के शुरवीरो ने सदैव देश और धर्म की रक्षा के लिए शौर्यपरक बलिदान से राष्ट्रीय चेतना की मशाल को प्रदिप्त रखा है। ऐसे ही एक महान योद्धा भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित परमवीर मेजर शैतानसिंह भाटी ने अपने देश की रक्षार्थ बलिदान दे दिया। इस अतुलनीय बलिदान के लिए भारत सरकार ने सन् 1963 में उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया।

हिन्दू सम्राट – छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज – अप्रतिम शौर्य , अद्भुत साहस , अद्वितीय बुद्धिमता , प्रशंसनीय चरित्रबल , श्रेष्ठ राजनीतिक चतुरता आदि गुण छत्रपति शिवाजी महाराज के चरित्र की अनन्य विशेषताएं हैं। उन्होंने अपने बल पर एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।

विजयादशमी ( दशहरा ) – शौर्य पर्व

विजयादशमी (दशहरा),

विजयादशमी (दशहरा)- शौर्य पर्व का प्रारम्भ त्रैलोक्य विजेता रावण पर भगवान श्री राम की विजय स्मृति अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हुई। किन्तु कालांतर में यह शौर्य और विजय प्राप्ति का आधार बनने वाले शस्त्रों की पूजा मे परिवर्तित होता चला गया।

राव जयमल मेड़तिया – एक अद्वितीय योद्धा

राव जयमल मेड़तिया

राव जयमल मेड़तिया ने अकबर की कूटनीतिक चालों को विफल करते हुए अपने पूर्वजों के निर्मल यश को सुरक्षित रखा और प्राणोत्सर्ग कर स्वामीभक्ति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।

रावत कृष्णदास चूंडावत – जिन्होंने जगमाल को हटा प्रताप को गद्दी पर बैठाया

रावत कृष्णदास चूंडावत

रावत कृष्णदास चूंडावत ने महाराणा उदयसिंह की मृत्यु के बाद जगमाल का हाथ पकड़ कर उसे गद्दी से उठाया और प्रताप को गद्दी पर आसीन किया। यदि प्रताप को गद्दी पर नहीं बैठाया होता तो आज भारत भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसा हो जाता।