Bhanwar Singh Thada
गौरा और बादल : दो वीर योद्धा जिनके शौर्य व पराक्रम से अलाउद्दीन ख़िलजी भी काँपता था
शौर्य और बलिदान का प्रतीक मेवाड़ अपने ह्रदय में महान वीरो और क्षत्राणियो की गौरवपूर्ण गाथा को संजोए हुए हैं। यह गवाह है चित्तौडगढ़ के जौहर और शाके के लिए , जो वीरो का अपने धर्म, अपनी स्वतन्त्रता, अपनी आन – बान और शान के लिए केसरिया बाना धारण कर रणचंडी का कलेवा बन गए। इनमे वीर योद्धा गौरा और बादल जिनके नाम और पराक्रम से मुगल आक्रांता भी थर – थर काँपते थे । मुहणोत नैणसी के प्रसिद्ध काव्य ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ में इन दो वीरों के बारे में पुख़्ता जानकारी मिलती है. इस काव्य के अनुसार की रिश्ते में चाचा और भतीजा लगने वाले ‘गौरा और बादल’ जालौर के ‘चौहान वंश’ से संबंध रखते थे, गोरा तत्कालीन चित्तौड़ के सेनापति थे एवं बादल उनके भतीजे थे। दोनो अत्यंत ही वीर एवं पराक्रमी योद्धा थे,
विश्व के प्राचीनतम राजवंश मेवाड़ के युवराज महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी मेवाड़
विश्व के प्राचीनतम राजवंश मेवाड़ के युवराज एवं वीरशिरोमणि ,राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी मेवाड़ का जन्म 18 मई 1967 को हुआ । उनके पिता मेवाड़ के 76 वे महाराणा श्री मंत हुजूर महेंद्रसिंह जी मेवाड़ एवं माता टिहरी गढ़वाल की राजकुमारी निरुपमा कुमारी है । महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी ने अपनी शिक्षा मेयो कॉलेज अजमेर से की है । वर्तमान में 16 वी विधानसभा के लिए राजस्थान के नाथद्वारा से विधायक चुने गए है ।
परमवीर मेजर शैतानसिंह भाटी जिन्होंने मरते दम तक भारत की रक्षा कर वीरगति पाई
राजस्थान की भूमि सन्त , सती और सूरमा की भूमि रहीं हैं। इस गरिमामय धरा के शुरवीरो ने सदैव देश और धर्म की रक्षा के लिए शौर्यपरक बलिदान से राष्ट्रीय चेतना की मशाल को प्रदिप्त रखा है। ऐसे ही एक महान योद्धा भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित परमवीर मेजर शैतानसिंह भाटी ने अपने देश की रक्षार्थ बलिदान दे दिया। इस अतुलनीय बलिदान के लिए भारत सरकार ने सन् 1963 में उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया।