क्षत्रिय धर्म – क्षतात् त्रायते इति क्षत्रिय:

क्षत्रिय धर्म

क्षत्रिय कभी अधर्म, अन्याय, अत्याचार, असत्यता, धूर्तता एवं उत्पीड़न के सामने झुका नहीं लेकिन अब बस ….. हम बहुत पीड़ा भोग चुके हैं। अब जागकर उठना ही हमारा धर्म है।