राजस्थान की तपोभूमि ने अनेक वीरों और संतों को जन्म दिया है, लेकिन करणी माताजी उनमें एक अनोखा, चमत्कारी और दिव्य स्वरूपा थीं। उनका जीवन केवल एक देवी-स्वरूपा महिला का नहीं, बल्कि एक ऐसी आत्मा का था जिसने लोक और परलोक दोनों में सेतु का कार्य किया। करणी माता को भक्तजन देवी का अवतार मानते हैं – विशेष रूप से मां दुर्गा का – और उनके जीवन की घटनाएं इस विश्वास को और भी प्रगाढ़ करती हैं।
इस लेख में हम करणी माता के इतिहास, चमत्कार, मंदिर की विशेषताएँ, धार्मिक महत्ता, चूहों से जुड़ी मान्यताएँ और पर्यटन आदि को विस्तार से जानेंगे।
करणी माताजी – साक्षात देवी स्वरुपा !
जन्म और प्रारंभिक जीवन
करणी माता का जन्म अश्विन शुक्ल द्वितीया विक्रम संवत 1444 तदनुसार 2 अक्टूबर,1387 ईस्वी में राजस्थान के जोधपुर जिले के सुवाप गाँव में चारण वंश में हुआ था। वे बचपन से ही अलौकिक शक्तियों से युक्त थीं। साधारण सांसारिक जीवन में उनकी रुचि नहीं थी। इनके पिता मेहाजी चारण और माता देवल देवी थीं। बचपन में इनका नाम रिधुबाई रखा गया था।
करणी माताजी का विवाह
इनका विवाह देपाजी चारण से हुआ, लेकिन वे सांसारिक जीवन से विरक्त होकर आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़ीं। विवाह के बाद भी उन्होंने ब्रह्मचर्य को अपनाया और अपना जीवन तपस्या, सेवा और जनकल्याण में अर्पित कर दिया। करणी माता की दृष्टि में संसार एक लीला थी – और वे स्वयं उस लीला की साक्षी थीं, भागी नहीं।
करणी माताजी के चमत्कार
करणी माता को हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है। लोक मान्यता है कि उनके पास अलौकिक शक्तियाँ थीं और उन्होंने कई चमत्कार दिखाए, जैसे अकाल को टालना, बीमारियों को ठीक करना, और मृत व्यक्ति को जीवित कर देना।
करणी माता जी से जुड़ी अनेक सच्ची घटनाएं लोककथाओं, भक्तों के अनुभवों और चश्मदीद गवाहियों के रूप में प्रसिद्ध हैं। नीचे पांच ऐसी प्रसिद्ध घटनाएं दी गई हैं जो लोगों ने स्वयं अनुभव की हैं या पीढ़ियों से बताई जाती रही हैं
1. मृत पुत्र को जीवित करने का चमत्कार:
करणी माता ने अपनी बहन के पुत्र लखन जी को, जो एक दुर्घटना में मृत्यु होने के बाद , पुनर्जीवित कर दिया था। इसके बाद यमराज ने उनसे वचन लिया कि उनके वंशज कभी यमलोक नहीं जाएँगे, बल्कि मृत्यु के बाद चूहों के रूप में मंदिर में निवास करेंगे। फिर से जन्म लेंगे और पुनः अपने परिवार में जन्म लेकर चक्र पूरा करेंगे।
2. चूहों द्वारा बच्चे की जान बचाना (देशनोक मंदिर की घटना)
एक बार एक परिवार अपने बच्चे को लेकर करणी माता के मंदिर में दर्शन के लिए आया। बच्चे ने खेलते समय मंदिर परिसर में एक कोने की ओर भाग लिया, जहाँ एक गड्ढा था। बच्चा अचानक उस गड्ढे में गिर गया। आसपास कोई नहीं था, लेकिन मंदिर के चूहे (काबा) अचानक बड़ी संख्या में उस गड्ढे के पास जमा हो गए। चूहों की हलचल देखकर लोग दौड़े और देखा कि चूहे बच्चे को गिरने से पहले ही थामे हुए थे – जैसे किसी देवी शक्ति ने उन्हें माध्यम बनाया हो। यह घटना देशनोक के पुरोहितों द्वारा भी कई बार बताई गई है।
3. रेल पटरी से गाड़ी का उतरना (ब्रिटिश काल का चमत्कार)
ब्रिटिश काल में बीकानेर–जोधपुर रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी। लाइन को देशनोक मंदिर के पास से गुजरना था। जब रेलगाड़ी पहली बार उस रास्ते से गुज़री, तो वह मंदिर के सामने आते ही पटरी से उतर गई। इंजीनियरों ने कई बार मरम्मत की, लेकिन हर बार यही हुआ। स्थानीय लोगों ने बताया कि देवी करणी माता इस मार्ग से गाड़ी को गुजरने नहीं देना चाहतीं। अंग्रेज अधिकारियों ने रेलवे लाइन का मार्ग बदल दिया और तब जाकर समस्या हल हुई। आज भी यह किस्सा राजस्थान के बुज़ुर्गों और मंदिर से जुड़े लोगों द्वारा सुनाया जाता है।
4. बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को चूहों का प्रसाद खाने से ठीक होना
एक युवक कई वर्षों से त्वचा की गंभीर बीमारी से परेशान था। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। वह देशनोक मंदिर दर्शन के लिए आया। वहां उसे बताया गया कि चूहों का झूठा प्रसाद (जो चूहे खाते हैं और वहीं छोड़ देते हैं) विशेष मान्य होता है। युवक ने श्रद्धा से वो प्रसाद खाया और लगातार 3 दिन मंदिर में रहकर माताजी की सेवा की। आश्चर्यजनक रूप से उसकी त्वचा धीरे-धीरे ठीक होने लगी और कुछ ही हफ्तों में वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया।
5. मंदिर के चूहों की अद्भुत संख्या और मृत्यु का न होना
देशनोक मंदिर में लगभग 25,000 से अधिक चूहे रहते हैं, जिन्हें “काबा” कहा जाता है। इन चूहों की संख्या कभी कम नहीं होती, न ही कभी कोई मृत चूहा पाया जाता है – न सड़ता हुआ, न बीमार। वैज्ञानिक भी इस बात को लेकर चकित हैं कि इतनी बड़ी संख्या में चूहे रहते हुए भी वहां कोई बीमारी या दुर्गंध नहीं होती। यह स्वयं में एक चमत्कार माना जाता है। भक्त इसे करणी माता की कृपा का प्रमाण मानते हैं।
6. एक भक्त को स्वप्न में दर्शन और मार्गदर्शन मिलना
जयपुर का एक व्यापारी गंभीर वित्तीय संकट में था और आत्महत्या तक की सोच चुका था। उसने आखिरी बार माता करणी से प्रार्थना की और रात को उसे स्वप्न में करणी माता के दर्शन हुए। उन्होंने एक विशेष व्यापारी से मिलने को कहा और दुकान की दिशा बदलने की सलाह दी। उसने वैसा ही किया, और कुछ महीनों में उसका व्यापार फिर से चल पड़ा। वह आज भी हर साल नंगे पाँव देशनोक मंदिर पैदल जाता है, और यह अनुभव कई लोगों के सामने साझा कर चुका है।
संपूर्ण जीवन अध्यात्म और लोक कल्याणकारी
उनका संपूर्ण जीवन अध्यात्म और लोक कल्याण की मिसाल है। उन्होंने युद्ध में घायल सैनिकों की सेवा की, पशु-पक्षियों के प्रति करुणा दिखाई, और कई स्थानों पर पीने के पानी की व्यवस्था करवाई। उन्होंने समाज में स्त्रियों की गरिमा को ऊँचा उठाया और सामाजिक भेदभावों को नकारते हुए सबके साथ एक समान व्यवहार किया। यह सभी गुण केवल किसी सुधारक के नहीं थे, बल्कि एक सिद्ध आत्मा के संकेत थे।
राव जोधा एवं राव बीका को आशीर्वाद
राव जोधा (जोधपुर के संस्थापक) ने करणी माता जी के आशीर्वाद से जोधपुर की स्थापना की, मेहरानगढ़ किले की नींव भी करणी माता ने ही रखी थी। राव बीका (बीकानेर के संस्थापक) को भी आशीर्वाद दिया।
करणी माताजी मंदिर – देशनोक

राजस्थान के बीकानेर जिले के पास स्थित देशनोक गांव एक ऐसा चमत्कारिक स्थान है, जहाँ भक्तों की आस्था और चूहों की धार्मिक महत्ता एक साथ देखने को मिलती है। इस मंदिर को “चूहों का मंदिर” (Temple of Rats) के नाम से भी जाना जाता है, जो दुनियाभर में अपनी अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हजारों चूहे (जिन्हें “काबा” कहा जाता है) स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं और भक्त उन्हें पवित्र मानकर सेवा करते हैं।
यह कोई सामान्य मंदिर नहीं, बल्कि एक दिव्य चमत्कारों से भरा तीर्थस्थल है – करणी माता मंदिर । इसे देखने के लिए भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
देशनोक का यह मंदिर अपने चूहों के देवत्व, अलौकिक इतिहास, और अंतरराष्ट्रीय आकर्षण के कारण न केवल भारत का, बल्कि विश्व का एक अनूठा तीर्थ स्थल बन गया है।
अंतरराष्ट्रीय आकर्षण
करणी माता मंदिर ने न केवल भारतीय श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है, बल्कि यह BBC, National Geographic, और Discovery Channel जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी प्रमुखता से दिखाया जा चुका है। कई विदेशी पर्यटक इस मंदिर की विचित्रता, रहस्य और आध्यात्मिक ऊर्जा को अनुभव करने आते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
कुछ वैज्ञानिक इस परिकल्पना को सामाजिक सह-अस्तित्व का एक उदाहरण मानते हैं। उनके अनुसार, यहां चूहों को भोजन, सुरक्षा और सम्मान मिलता है, इसलिए वे आक्रामक नहीं होते और मंदिर परिसर में ही रहते हैं।
हालांकि, चूहों से जुड़ी बीमारियों का खतरा होने के बावजूद, मंदिर में कभी कोई महामारी नहीं फैली, जो इसे एक अलौकिक चमत्कार जैसा बनाता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण
करणी माता का जीवन हमें यह सिखाता है कि शक्ति का वास्तविक स्वरूप केवल विनाश में नहीं, बल्कि करुणा, सेवा, त्याग और संतुलन में भी होता है। वे एक ऐसी साधिका थीं जिन्होंने सांसारिक बंधनों से ऊपर उठकर, आत्मज्ञान और लोकसेवा को एक सूत्र में पिरोया। उनके भीतर केवल तपस्विनी की शक्ति नहीं, मातृत्व की भी अपार करुणा थी – एक ऐसी मां जो अपने भक्तों की रक्षा के लिए स्वयं काल से भी टकरा गई।
क्यों पूजे जाते हैं चूहे?
- मान्यता है कि करणी माता के चारण वंशज मृत्यु के बाद चूहों के रूप में इस मंदिर में आते हैं।
- काबा (चूहे) को पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है।
- मंदिर में लगभग 25,000 चूहे रहते हैं, जिन्हें “काबा” कहा जाता है।
- सफेद चूहे को विशेष शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई सफेद चूहा दिखाई दे तो उसकी मनोकामना पूरी होती है .
सफेद चूहा: शुभ संकेत
यदि आपको मंदिर में सफेद चूहा दिख जाए, तो यह अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह स्वयं करणी माता या उनके पुत्र का रूप होता है। कुछ श्रद्धालु तो वर्षों मंदिर में रुककर सफेद चूहे के दर्शन की प्रतीक्षा करते हैं।
मंदिर का निर्माण
करणी माता मंदिर का निर्माण लगभग 15वीं शताब्दी में किया गया था, जब बीकानेर और जोधपुर के राजाओं ने उन्हें अपनी कुलदेवी के रूप में मान्यता दी। इस मंदिर का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने 20वीं शताब्दी की शुरुआत में संगमरमर से करवाया था। मंदिर की नक्काशी, द्वार, और चांदी की जालियां स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण हैं। मूल मंदिर का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। मंदिर में चाँदी के किवाड़ भी लगे हुए हैं, जो महाराजा गंगासिंह ने भेंट किए थे।
कैसे पहुँचें – देशनोक, बीकानेर
- निकटतम हवाई अड्डा: बीकानेर (30 किमी) या जोधपुर (245 किमी)
- निकटतम रेलवे स्टेशन: देशनोक (2 किमी), बीकानेर जंक्शन (30 किमी दूर)।
- सड़क मार्ग: देशनोक राष्ट्रीय राजमार्ग 89 से जुड़ा है .
यात्रा का सबसे अच्छा समय
- अक्टूबर से मार्च (ठंड का मौसम)।
- नवरात्रि (चैत्र और अश्विन) में विशेष आयोजन होते हैं।
प्रमुख पर्व
- नवरात्रि: शारदीय व चैत्र नवरात्रों में मंदिर में विशाल मेला लगता है।
- इस समय लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं और माता से मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।
मंदिर दर्शन और नियम
- मंदिर में चूहे को मारना अत्यंत पापपूर्ण माना जाता है। यदि अनजाने में किसी से चूहा मर जाए, तो उसे चांदी का चूहा मंदिर को दान करना होता है।
- यहां प्रसाद को चूहे खाते हैं, और फिर भक्त वही प्रसाद ग्रहण करते हैं।
आरती और भजन
- मंदिर में करणी माता की आरती और चालीसा का पाठ किया जाता है .
- “श्री करणी चालीसा” में माता के चमत्कारों का वर्णन है:
“ग्राम सुआप नाम सुखकारी, चारण वंश करणी अवतारी…”
“मूषक बन मंदिर में रहि हैं, मूषक ते पुनि मानुष बनी हैं…” .
निष्कर्ष:
करणी माता केवल इतिहास नहीं, एक जीवंत चेतना हैं – जो हमें सिखाती हैं कि ईश्वरत्व स्त्री के भीतर भी उसी तरह प्रकट हो सकता है जैसे किसी योगी या ऋषि में। वे भक्ति, शक्ति और करुणा का त्रिवेणी संगम हैं – एक मां, एक संत और एक देवी।
उनकी उपस्थिति आज भी देशनोक मंदिर में महसूस की जाती है। भक्तों का विश्वास है कि मां करणी आज भी जीवित हैं – शरीर में नहीं, लेकिन चेतना में। वे साधक को प्रेरणा देती हैं, भक्त को आशीर्वाद देती हैं और पीड़ित को शरण देती हैं।
करणी माता मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और अद्भुत मान्यताओं का प्रतीक भी है। यहाँ की चूहों की पूजा, अलौकिक इतिहास, आध्यात्मिक वातावरण, अंतरराष्ट्रीय आकर्षण और ऐतिहासिक महत्ता इसे न केवल भारत का बल्कि विश्व का एक अनूठा तीर्थ स्थल बन गया है।
यदि आप चमत्कारों में विश्वास करते हैं या भारतीय आस्था को निकट से महसूस करना चाहते हैं, तो करणी माता के दर्शन अवश्य करने चाहिए।
संदर्भ (Sources)
- करणी माता का इतिहास – चारण समुदाय पोर्टल
- देशनोक करणी माता मंदिर – राजस्थान GK
- करणी माता आरती – HindiPath
- श्री करणी चालीसा – JaiHinduism
- Rajasthan Tourism Official Website
- National Geographic Documentary on Karni Mata Temple
- “Karni Mata: The Mystery of the Rat Temple” – India Today (2022)
- Bikaner Government Archives on Charan Devotees
- Local Legends and Folk Stories documented by Rajasthan Culture Dept.
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2 thoughts on “करणी माताजी: दुर्गा स्वरुपा माँ करणी के अद्भुत चमत्कार!”