महाराज शक्तिसिंह जी की जयंती: चित्तौड़गढ़ की ऐतिहासिक धरती पर 27 मई 2025 को मेवाड़ के वीर योद्धा महाराज शक्तिसिंह जी की 483वीं जयंती के उपलक्ष में इन्दिरा प्रियदर्शिनी ऑडिटोरियम में गरिमामयी आयोजन समपन्न हुआ, जिसमें वीरता और निष्ठा को किया गया नमन। कार्यक्रम कि अध्यक्षता महाराज शक्ति सिंह जी के पाटवीं वंशज महाराज रणधीर सिंह जी भीण्डर ने की l कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जयपुर ग्रामीण के सांसद शाहपुरा राजपरिवार के श्रीमान राव राजेन्द्र सिंह जी थे।
विशिष्ट अतिथि चित्तोडगढ़ के विधायक श्री चन्द्रभान सिंह जी आक्या व मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के केन्द्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंह जी मेतवाला थे। कार्यक्रम में राजपरिवार के वंशजों, इतिहासविदों, युवाओं और क्षत्रिय समाज के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और महाराज शक्तिसिंह जी की वीरता, स्वाभिमान एवं मेवाड़ के प्रति उनके योगदान को श्रद्धांजलि दी। अद्भुत शौर्य और सम्मान के साथ महाराज शक्तिसिंह जी की 483 वी मनाई गई ।
इस ऐतिहासिक अवसर पर सावर दरबार, बोहेड़ा राव साहब, विजयपुर राव साहब, सेमारी राव साहब, बस्सी राव साहब पूर्व विधायक प्रीति गजेंद्र सिंह जी शक्तावत, शहपुरा राणी सा, भीण्डर राणी सा, भवानी बन्ना कालवी, व प्रताप बना कालवी सहित लगभग 250 शक्तवात ठिकानो से पधारे शक्तावत परिवार के सदस्य बिराजमान थे l
आयोजन की प्रारंभ वीर भूमि को नमन करते हुए महाराज शक्तिसिंह जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि से हुई। जिसमें विद्वानों ने महाराज जी के जीवन के अनछुए पहलुओं को साझा किया।
महाराज शक्तिसिंह जी : अकबर के षड्यंत्रों को विफल कर मेवाड़ को सुरक्षित किया
ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया, 1542 ई. को कुम्भलगढ़ में जन्मे महाराज शक्ति सिंह न केवल महाराणा प्रताप के छोटे भाई थे, बल्कि मेवाड़ की शक्तावत शाखा के संस्थापक और एक साहसिक कूटनीतिज्ञ भी थे। इतिहास में उन्हें अकबर के षड्यंत्रों को विफल करने वाले योद्धा के रूप में भी जाना जाता है। हल्दीघाटी युद्ध के निर्णायक क्षणों में जब महाराणा प्रताप संकट में थे, शक्ति सिंह ने उन्हें अपना घोड़ा देकर उनकी जान बचाई थी। इस वीरता के लिए मेवाड़ में यह दोहा आज भी प्रसिद्ध है:
“शक्ति थारी शक्ति नु हरि जाने ना नो,
सुर थारी हुंकार महाकाल सु निकट ना आये।”
भैसरोडगढ़ में हुआ स्वर्गवास
महाराज शक्ति सिंह का स्वर्गवास 1594 ई. में भैसरोडगढ़ में हुआ जहाँ आज भी उनकी स्मृति में एक स्मारक बना हुआ है। उनकी वीरगाथा को आने वाली पीढ़ियां हमेशा स्मरण करेंगी।
क्षत्रिय समाज को संदेश
समारोह के अंत में वक्ताओं ने कहा कि महाराज शक्ति सिंह जैसे चरित्रों से हमें प्रेरणा लेकर देशभक्ति, स्वाभिमान और पारिवारिक निष्ठा की भावना को जीवन में अपनाना चाहिए। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि कठिन से कठिन समय में भी सत्य और धर्म के मार्ग पर अडिग रहना ही सच्ची वीरता है।
ऐतिहासिक घोषणा – अब प्रतिवर्ष 27 मई को मनाई जाएगी जयंती!
- पहले यह तिथि महाराणा प्रताप जयंती के साथ मिलती थी, लेकिन अब प्रतिवर्ष 27 मई को शक्ति सिंह जी की जयंती मनाई जाएगी।
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खास आपके लिए –
बहुत हीं अच्छा आयोजन सफल हुआ ll एवं एक मच पर सभी शक्तावत परिवार के अलग अलग विराजमान ठिकानो से पधारे भभोसा से मिलने का अवसर हुआ ll
इतिहास मे शक्ति सिंह जी की भूमिका के बारे मे जानने का अवसर के साथ उनकी वीरगाथाओ को सुनने का अवसर प्राप्त हुवा ll
ये अवसर जीवन को आनंददायक देने वाला पल था जिसे भुलाया नहीं जा सकता हैं