एक सरल , सहज , जनता के राजा – महाराज रणधीर सिंह जी भींडर

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर राष्ट्रनायक हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप के भाई महाराज शक्ति सिंहजी के वंशज है। उनको वंशानुगत के तौर पर “त्याग, तपस्या और बलिदान” के समृद्ध सांस्कृतिक-नैतिक मूल्य और संस्कार विरासत में मिले है।

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर को टिकिट देने के मामले में कटारिया जी की जिद्द के आगे केंद्र और प्रदेश नेतृत्व हमेशा बोना साबित हुआ और घुटने टेके । कटारिया जी को जनता के जननायक भींडर की लोकप्रियता का डर ,और किसी भी लोकप्रिय को आगे न बढ़ने की कुनीति के कारण भींडर को अपना प्रबल शत्रु माना और हमेशा व्यक्तिगत शत्रुता पाल कर मानवता और लोकतंत्र को कलुषित ही किया है।

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर

जन्म

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर का जन्म 9 फरवरी 1956 को मेवाड़, राजस्थान के उदयपुर जिले में भींडर के राजमहल में महाराज सा. भैरव सिंह जी और राणीसा आनंद कंवर जी से हुआ ।

शिक्षा

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर ने उदयपुर के सेंट पॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययन किया। इसके पश्चात उन्होंने कृषि विज्ञान (बीएससी) में स्नातक और कृषि विस्तार (एमएससी) में पोस्ट ग्रेजुएट की शिक्षा प्राप्त की।

विवाह

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर का विवाह वाव ( गुजरात ) राजपरिवार की राजकुमारी दीपेन्द्र कुमारी जी से हुआ है। उनके दो संतान  बाईसा हेमावती कुमारी जी ( जन्म – 5 दिसंबर 1982 ) और  कुँवर प्रणवीर सिंह जी ( जन्म – 5 नवंबर 1988 ) है।

व्यक्तित्व

राजस्थान के प्रसिद्ध सामाजिक-राजनीतिक नेतृत्वकारी व्यक्तित्व और जनता सेना के संस्थापक महाराज रणधीर सिंह भींडर राष्ट्रनायक हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह के वंशज है। उनको वंशानुगत के तौर पर “त्याग, तपस्या और बलिदान” के समृद्ध सांस्कृतिक-नैतिक मूल्य और संस्कार विरासत में मिले है। उन्होंने अपनी वंश परंपरा के अनुसार बचपन से ही विधार्थी जीवन से सामाजिक समर्पण और जन सरोकार रखा जिसके कारण के विद्यार्थियों के एक बहुत अच्छे नेता के रूप में जाने जाते थे।

उन्होंने अपने जीवन के प्रारम्भिक समय और युवा अवस्था से ही सामाजिक रूप से सार्वजनिक जीवन शुरू किया। उनका जीवन जनहित के मुद्दों पर और जनता की समस्याओं के समाधान के साथ जुड़ा होने के कारण उनके समर्थकों के आग्रह पर वे समाज में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के लिए एक लोकप्रिय जननेता और सफल नेतृत्वकारी व्यक्तित्व के रूप में राजनीतिक व्यवस्था में शामिल हुए। उनके व्यक्तित्व और जन हितार्थ कार्यशैली के कारण उन्होंने राजस्थान, भारत में एक सफल लोकप्रिय राजनीतिक व्यक्तित्व की छवि प्राप्त की है।

राजनीति

वे सामाजिक सेवा कार्य के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)शीर्ष नेतृत्व के आग्रह पर तत्कालीन दिवंगत भूतपूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह जी शेखावत के समय राजनीति में शामिल हुए। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे राजनीति में शामिल हुए, एक लोकप्रिय परिवर्तनकारी जननेता के साथ ही वे आज भी एक सर्वमान्य नेता हैं। समाज और क्षेत्र में सामाजिक परिवर्तन के कार्य के साथ वे क्षत्रिय महासभा में रहते हुए सामाजिक सुधार और लोक कल्याण के कार्यों में आज भी अग्रणी रहते है ।

राजनीतिक जीवन में उनकी एक सकारात्मक परिवर्तनकारी नेतृत्व वाले व्यक्तित्व की भूमिका और सक्रिय सामाजिक भागीदारी के कारण वह भींडर और मेवाड़ ही नहीं राजस्थान के एक बड़े जन नेता के तौर पर अच्छी तरह से पहचाने जाते हैं। उनके सामाजिक जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ने से और महाराणा प्रताप के एक वंशज के तौर पर जनविकास में निरंतर जुड़े रहते हुए वे क्षेत्र के विकास की जरुरत के रूप में एक आवश्यक नेतृत्वकारी और परिवर्तनकारी के तौर पर माने जाने लगे।

सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और सक्रिय सामाजिक भूमिका को देखते हुए जनता ने उन्हें उम्मीदवार के रूप में चुना जिस पर उन्होंने 1993 और 1998 में विधायक के लिए मैदान में उतरकर चुनाव लड़ा। उन्होंने चुनाव में क्षेत्र के विकास के मुद्दे उठाए और बाद में जनता के साथ संघर्ष करके कई ऐसे मुद्दों को लागू करवाया जो उनके जनसंघर्ष के परिणामस्वरुप क्षेत्र के विकास के लिए संभव हो पाए।

उनकी लोकप्रियता और विकास में सक्रिय भूमिका के कारण क्षेत्र की जनता के आग्रह पर वे फिर से मैदान में उतरे और उन्होंने वर्ष 2003 में चुनाव जीता। उन्होंने यह चुनाव राजस्थान के पूर्व गृह मंत्री के सामने लड़कर जीता और विधायक चुने गए। उन्होंने उस चुनाव में भारी मात्रा में व्यापक जन समर्थन के कारण काफी वोट हासिल किए। एक विधायक के रूप में उन्होंने बहुत सारी उपलब्धियां हासिल की और उन्होंने जनता व क्षेत्र के विकास के लिए कई अतिरिक्त लक्ष्य अर्जित किए।

उनके समर्थकों और क्षेत्र की जनता ने उनसे राजनीतिक कारणों ( कटारिया जी के कारण टिकिट काटने से ) से अलग रहकर क्षेत्र को सर्वांगीण विकास की धारा से वापस जोड़ने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का आग्रह किया। समर्थकों और जनता के व्यापक समर्थन पर उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से भींडर विधान सभा से विजयी होकर 2013 में फिर विधायक चुने गए।

2013 से विधायक रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण विकास के कार्य करवाए। इनमें सबसे उल्लेखनीय कार्य कानोड़, भींडर और कुराबड को तहसील बनाने के हुए है जिसकी जनता की वर्षों से मांग व जरुरत थी। उन्होंने अमरपुरा में खेल गाँव व लूणदा में आदिवासी बालिका छात्रावास के साथ – साथ विकास के खूब काम करवाये ।

राजनीति शत्रुता

राजनीति में शत्रुता एक महत्वपूर्ण विषय है जो राजनीतिक प्रक्रियाओं में विभिन्न दलों और नेताओं के बीच उत्पन्न होती है। यह विशेष रूप से चुनावी युद्धों, विपक्षी दलों के आपसी टकरावों, और विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर आधारित होती है। शत्रुता के कारण दलों के बीच विशेष रूप से विरोध और असहमति होती है, जो नीतिगत और व्यक्तिगत स्तर पर उभरती है। यह नेताओं के बीच विशेष रूप से विपक्षी दलों के बीच द्वंद्वों का कारण बन जाती है, लेकिन …….

मेवाड़ में महाराज रणधीर सिंह जी भींडर की बढ़ती लोकप्रियता के कारण गुलाबचन्द जी कटारिया ने भींडर को विधानसभा के टिकिट में रोड़ा अटकाकर कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी गणपत लालजी मेनारिया को भाजपा का टिकिट दिलवाया, लेकिन जनता ने उन्हे जनता सेना का गठन कर मैदान में उतारा , जिसमें भाजपा और राजपा की जमानत जब्त करवा कर भारी मतों से विजय हुए ।

महाराज रणधीर सिंह जी भींडर को टिकिट देने के मामले में कटारिया जी की जिद्द के आगे केंद्र और प्रदेश नेतृत्व हमेशा बोना साबित हुआ और घुटने टेके । कटारिया जी को जनता के जननायक भींडर की लोकप्रियता का डर ,और किसी भी लोकप्रिय को आगे न बढ़ने की कुनीति के कारण भींडर को अपना प्रबल शत्रु माना और हमेशा व्यक्तिगत शत्रुता पाल कर मानवता और लोकतंत्र को कलुषित किया।

जनता सेना

सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनकी सक्रिय भूमिका के कारण उनकी भींडर क्षेत्र, मेवाड़ में, राज्य स्तर पर राजस्थान में और राष्ट्रीय स्तर पर देश में एक बहुत अच्छे जननेता के रूप में पहचान बनी है। वह लगातार लोगों और विकास के अधिकारों के लिए संघर्ष का नेतृत्व करते रहे हैं और एक अच्छे बड़े सामाजिक व राजनीतिक नेता के रूप में काम कर रहे है। राजनीति में एक व्यापक परिवर्तन को देखते हुए आपके नेतृत्व में जनता सेना का गठन किया गया है जो आज भी समाज और राष्ट्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए समर्पित हैं।

आज भी वल्लभनगर विधानसभा ही नहीं बल्कि पूरे मेवाड़ में क्षत्रिय समाज के साथ – साथ सभी वर्गों के लोग मुसीबत के समय महाराज सा. के पास आते है चाहे दिन हो या रात वे हर समय जन सेवा के लिए तत्पर रहते है, ऐसे सरल , सहज , जनता के राजा है महाराज रणधीर सिंह जी भींडर ।

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